शनिवार, 30 मई 2009

परिवर्तन- जिंदिगी का


अनकही मे आपका स्वागत हँ, इस ब्लाक में मेरा यह पहला प्रयास हे,

अभी कुछ दिन पहले मेरी जानकारी में एक लड़की की शादी का जिक्र आया था, किसी लड़की की शादी उसकी जिंदिगी का सबसे महतंपूणँ क्षण होता हें, शादी किसी लड़की की जिंदगी को कैसे बदल देती हें, इसी को समझाने का प्रयास हें कुछ इस तरह.....

दो घंटे की वैवाहिक रस्मे,
और एक जिंदिगी बदल जाती हँ,
कल तक की बेफिक्र, हँसती, "बेटी",
इक जिम्मेदार " बहु" बन जाती हँ,

वो हँसना खेलना ,
देंर से उठना,
घंटो फ़ोन पे बाते करना,
सब मम्मी के प्यार में,
और पापा के दुलार में ,
घुल जाता हे .

वही नए परिवेश में ,
जल्दी उठना ,
सम्हल के चलना,
नया आँगन दिखलाता हेँ,

रिश्ते बदल जाते हें,
उनकी परछाँइया बदल जाती हेँ,
लाखो लोगो की चाहत,
अब सिर्फ इक की दुनिया बन जाती हेँ,

यह सात फेरे का बंधन कितना कुछ कर जाता हेँ,
नये मायने, नये रिश्ते,
नयी परिभाषा दे जाता हेँ,

पीछा मुड के देखो तो कितनी यादें समायी होती हेँ ,
कितनी बाते ,कितने रिश्ते,
कितनी खुशियाँ बितायी होती हेँ ,

कुछ अनकहे रिश्ते भी होते हेँ,
जो परिभाषित नहीं होते,
रह जाती हँ उन रिश्तों की यादे,
इक कसक सी दिल में उठती हेँ,


वाह " नारी " यह तुम ही से संभव हँ,
तभी तो तुम्हे "शक्ति" कहा जाता हें,


काया पतली दुबली हुई तो क्या हुआ,
पर मजबूत मानसिकता दर्शाता हेँ.