तुमको देखा,
तुमको सोचा,
....और वैलेंनटाइन मन गया
एक चाहत थी कुछ तुमसे जानने की,
एक हसरत थी तुम्हारी निगाहों मे
अपने अस्क की,
उस चाहत को दबाता चला गया,
....और वैलेंनटाइन मन गया
महफ़िल मे तू रुसवा न हो,
बात दिल की जवा पर न आ जाये,
उन होठो को सिलता चला गया,
....और वैलेंनटाइन मन गया
गर कही वोह पढ़ लेगी लफ्ज़- ए- आरजू ,
इसलिय य़ूही कुछ लिखता चला गया,
....और वैलेंनटाइन मन गया
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