शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

इत्तफाक....


कितना अजीब इत्तफाक है
कि
जब भी
तुम्हारी यादे
जेहन से
बार बार
टकरा कर
दिल को मायूस करती है
और
तुम से न
मिलने की उम्मीद
दिल को और तडपाती है
सचमुच
तभी मोबाइल पर
तुम्हारे नंबर की घंटी
सिर्फ यही समझाती है
कि
दिल से दिल को ही राहत होती है....

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