सोमवार, 27 जुलाई 2009

जन्मपत्री...


वों बहुत परेंशां थे ,
अपने लड़के की
जिंदिगी के भविष्य के वारें मे,
गर उन्होंने लड़के की जिंदिगी
खोजतें वक़्त
करीब सौ से ज्यादा
प्रपोजलं में
अन्य चीजो
के अलावा
जन्मपत्री को तवज्जौं दी,
नतीजन...
आज दोनों शखसं
जिंदिगी के
दोनों पाटों
पर खड़े हुऐ
अपनी अपनी
जिंदिगी के
फलसफे बांच रहे है
और बीच मे बह रही है
उन दोनों की
जन्मपत्री...


चलते- चलते...

न दोस्ती मिली न वफ़ा मिली,
न जानें क्यों यह जिंदिगी हमसे खफा मिली,
कांधे पर लादे हुएं इसको हम तो ढ़ोतें जाते है,
वह कौन सी गैरतं थी जिसकी हमको सजा मिली ,

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