मंगलवार, 30 जून 2009

क्यों ..


क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता हेँ ,
क्यों किसी के बिना जीना दुश्वार हो जाता हेँ
पल पल तरसते हेँ उनकी एक निगाह को,
क्यों किसी अजनबी पे एतबार हो जाता हेँ,

अब पता चला कि प्यार क्या होता हेँ,
क्यों आंखे तरसती हेँ उनके एक दीदार को,
क्यों धरती ताकती हेँ अस्मां को,
क्यों नदिया मिलती हेँ सागर में ,
क्यों जब भी तनहा होते हेँ,
उन्हें हम याद करते हेँ,

मत जाओ हम छोड़ के कि
शायद हम जी न पाए,
हम यह भी नहीं कहे सकते
कि आप अ़ब पराये हो,
पढना चाहों तो हमारी आंखे
पढ़ लो जो शायद आपको
दास्ताँ - ए- दिल ब्यां कर दे,

कितने मुश्किल थे वोह पल,
जिनमे अहसास हुआ कि ,
आप दूर चले गए हो,
कितने कठिन थे वोह लम्हें
जो कहे रहे थे कि
अब आप पराये हो
इस गैर जहाँ में मिलना
जरुरी तो नहीं,
यह सपने तो मेरे
अपने हेँ ,
आकर मिल जाया करो..

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